"मैदान-ए-जंग" में डटे युवा खिखिया रहे -
आज कुछ नया नहीं
ऊँघता उठा -चाय -चुस्की
नित्यकर्म-अख़बार
इसने लूटा -उसने मारा-
ये घोटाला -वो घोटाला
अपने कमरे में बैठा
इतनी बड़ी दुनिया -"ग्लोब"
ऊँगली से घुमाता रहा
करीने से सजा -सजाया कमरा
किताबें -पोथी -कुछ पन्ने
बस - एक कवि की अमानत
बाहर शीत लहर -शर्द हवाएं
धुंध का आवरण
जिसमे जुड़ा है -धुंआ
चूल्हे में जलती लकड़ी का -
मिल का -
भांय-भांय-दौड़ती गाड़ियों का
श्मशान में -दुनिया को विदाई
देते गम का -
बाहर अंधकार -हमें क्या
उससे -सरोकार !
खून गरमाया -खेत-मैदान-
मंदिर -बाजार-स्टेशन
घूमने निकला - देखा
मंदिर में भीड़ -शोरगुल
घंटे -शंख-भजन-कीर्तन
ऊँचे शिखर-जमीं पर बैठे
लोग -कतार में -कुछ के
हाथ में कटोरियाँ --रटा-रटाया
एक 'जबान'- दे दाता के नाम -
तुझको अल्ला - रक्खे राम !!!
स्टेशन पर जुदा होते
लोगों का दर्द -विरह
ट्रेन पकडे -कुछ दूर दौड़ते लोग
अंत में दो आंसू टपकाने को
- "खोया" - किसी ने - झकझोरा -
एक युवती -एक को पीठ में बांधे -
दो को पीछे घुमाते..
बाबू- दे न कुछ पैसे -
शादी है बेटी कुआंरी है -
घर जल गया है -
फिर ..एक युवक.. मेरी जेब कट गयी
-घर जाना स़ाब- टिकट भर का ..
छूटता - झटकता - जा पंहुचा -रौनक-
'बाजार' -काजू -बादाम की दुकान
-मै तोहफे में बांटने को - चुनता -
तरह तरह के सैम्पल
फिर एक घिघियाती आवाज ..
हृष्ट -पुष्ट युवती ..गोद में झांकता
बच्चा.. हे बाबू ..दे न ..कुछ..
बच्चा भूखा है कल से ..कुछ नहीं खाया..
बच्चा हँसा -शायद ये सोच कि मै 'फंसा'
मै सोचता रहा ..
कितने अच्छे लोग हैं - हमारे - 'देश' के
भरी दुकान में घुसे - 'भूखे'
मगर न 'लूटे' - न कुछ खाते
लौटते अपने घर - आशियाने को
गुमशुम -गुमनाम 'मै'
धुंधलके में शाम को ..
देखा कुछ तम्बू - खाली जमीन पर
कब्ज़ा -जमाये लोग- कुछ जाने -
पहचाने चेहरे .. औरतें बच्चे ..
'टेप' , 'टी.वी.' शोर -शराबा
हंसी - ठहाका ..मस्ती -मजा
'कुछ' छीलते - तलते - भूनते -
मसालों की - अजीब गंध .
सुबह हो गयी - दिन निकला
गोद में बन्दर से लटके
मासूम - बच्चे - नंगे चिथड़ा पहने
पान खाए महिलाएं -छोकरियाँ
हाथ में 'कटोरियाँ' -कुछ बच्चे -सम्हाले
निकल पड़े -अपनी डिउटी पर
उधर टेप सुनते - चुन्नी बदनाम हुयी --
फुल वाल्यूम - ताश -जुआ खेलते
गुटका चबाते -कुछ -
मैदान-ए -जंग में डटे
"युवा" खिखिया रहे ..
उनकी डिउटी -
दिन के पाले में नहीं
शायद रात को होती
है ...बस...
सुरेन्द्रशुक्लाभ्रमार
२८.०२.२०११ जल पी.बी.
kal fir aayenge aur koi kachchi kaliyan chunne vaale..ham sa behtar kahne vaale tum sa behtar sunne vale-Bhrmar ..join hands to improve quality n gd work