RAS RANG BHRAMR KA WELCOMES YOU

Sunday, February 13, 2011

“नारी ”- भ्रमर -हिंदी पोएम .

नारी ”- भ्रमर -हिंदी  पोएम .

नारी का  एक
रूप  खोजने ,
गहराई  में  
उतर  गया
बंधा -पड़ा
था  उस
कीचड   में  
जैसे  पत्ता -नाल l
कमल था  उपर -
खिला  “वो नारी"

उसने  मुझे  
निकाला
चिल्लाया  जब
रोया  जी  भर
देखा  उसने
गोद   ले  अपने
गले -लगाया .

संग  में  खेले -
कूदे -छोटी ,
प्यार  लुटाती  
संग  –संग  में
मेरे  रोती
वो  थी  मेरे  
घर  का  गहना
कहते  जिसको
हम  थे   “बहना ”.

बचपन  की  कुछ
सखी  –सहेली ,
आँख  –मिचौली ,
रंग -रंगोली ,
वे  हमजोली
मुहबोली -
छुपा -छुपी
सब  गयी - दूर
गोपी -कृष्ण   
की - "नारी"
बन  के  वो
अलबेली .
बूझ    पाया
मन  के  उनको
एक  पहेली .

मन   में  उठा
शोर  कब  रुकता ,
ये  किशोर  मन
सपने  बुनता
कली -फूल
आदम -हव्वा
सा  –मुक्त
ह्रदय  फिर  
बेकरार  कुछ
रहे  तड़पता
जलता  –शोला
बादल  –बिजली
चिड़िया -तितली
देख -देख  कर
छूने  को   मन
उड़ने  को  बेताब
घरौंदा  खोजे
जाता -गाता .

आये  बादल
मोर  नाचता
थिरक -थिरक  मन
उड़े  गगन
कुछ  चली  हवा
वो  “मधुर मिलन
सुहानी
छू  निकली
जब  बदन  हमारा
जाग  गया
बौराया  मन
स्पर्श  किया  
साँसों  में  भर
प्राणवायु .

जीने  का  संकल्प
लिया  संग
माँ  बहना  वो-  
दोस्त  हमारी
रहती  मुझपे  
वो ’  मनुहारी .
सुख -दुःख   सदा
साथ  बलिहारी
न्योछावर  जो
वो एक  नारी .

जो  पाया मै  
प्यार  आज  तक
कैसे  मै  बरसाऊँ

दिल  में  बोझ
लिए  मै  घूमूं
भरा - कुम्भ  सा
बादल  क्यों   ना
मै  बन  जाऊँ
रिमझिम  बूंदे
बरसे  –जब  
सावन मन भावन
धरती  - तरसे
फिर  तब -
उगे  बीज -कुछ
पौधे -पले -
बढे  हांथो  से
मेरे . मैंने  उन्हें
खिलाया -खेला
मन  भर .

रूप एक  गंगा -
सरस्वती
सीता  का  फिर  
पाया -मुझे  दुलारे
प्यार  करे  वो  
रखती  मेरा  मान
जिस  पर  है   विश्वास-
भरोसा
मन  में  है
अभिमान .

एक पाँव्  पे   
खड़ी  वो  रहती
माँ -बाबा  के  काम
उसका  प्रेम  –
पवित्र  है  इतना
जैसे  चमके -
सोना -शुद्ध -
खरा  वो  हीरे
सी  है
जिसे  “जौहरी
जाने . कहें  
भ्रमर ”-जो
डूबे  –उतराए
थाह  लगाये
जनम  –जनम  भर
भव -सागर  में
वो  “नारी
को  जाने
माने .

सुरेन्द्रशुक्लाभ्रमार
१३ .२ .११  ७ .३०  पूर्वाह्न
जल  (पी  बी ). 

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