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Sunday, February 27, 2011

"जमीन" खोदने वाला -JAMIN KHODNE VALA-SHUKLABHRAMAR-KAVITA-HINDI POEMS

"जमीन" खोदने वाला -
 
दोनों के हाथ में 'छूरी'
"मुर्गा" मै हूँ
बीच में पड़ा -एक खिलौना
किसी का पाला
आँखों का नूर .
 
एक तिलक है 'लाल' लगाये
दूजा 'काला' -नाग सरीखा
झंडे दोनों के हाथों में
उसमे छुपा है 'डंडा'
एक  'हथौड़ा'
कील वहीँ -कुछ.
 
पुलिस बीच में 
मूक -खड़ी है 
किधर   मुड़ जाये 
क्या   जानू   मै .
 
देखा है गाँव में 
जिसकी लाठी उसकी भैंस-
हथौड़ा मारते 'गर्म लोहे' पर- 
रोटी  सेंकते  ' अपनी'  -  गर्म तवे पर
"भीड़" है - सभी तबके के लोग,
"शामिल" हैं
हाथ में 'फावड़ा' लिए -
जमीन खोदने वाला -
मजदूर -  श्रमिक
भेंड़ है भीड़ -पर्यायवाची
किधर भी मुड़ जाये
मशाल है - फायर ब्रिगेड भी
बीच -बीच में चूँ -चूँ करती 
अम्बुलेंस -दौड़ती 
अहसास करा देती 
तरह -तरह की तैयारियां 
पूरी हैं ...
उठा कर हमें -लाद ले जाने की 
अस्पताल तक 
आक्सीजन सिलिंडर में 
अगर बची हो 
कुछ साँसे - दो बूँद पानी.
 
सुरेन्द्रशुक्लाभ्रमर
२७.०२.२०११ जल पी.बी.
९.४० मध्याह्न



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